Monday, September 25, 2017

बाल झड़ने के कारण और उसके होम्योपैथिक उपचार 


सुन्दर और घने बाल हर स्त्री पुरुष की अभिलाषा होती है , अच्छे बाल हमारे व्यक्तित्व और स्वास्थ्य का परिचायक होते हैं इसीलिए बालों को हमारे शरीर का बैरोमीटर भी कहते हैं 
​मनुष्य के बाल लगातार नहीं बढ़ते रहते हैं सभी हेयर ​फॉलिकल्स ( कोश ) विकास के विभिन्न चरणों  में रहते हैं , जिसमें बालों का लम्बा होने के बाद एक रेस्ट फेज होता है जिसे टेलोजेन फेज कहते हैं इस टेलोजेन फेज में पुराने बाल झड़ जाते हैं और नए आ जाते हैं 
सामान्य स्थिति में एक मनुष्य के १००  प्रतिदिन गिर जाते हैं लेकिन यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और हमें मालूम नहीं होती और इतने ही बाल उग भी आते हैं 
मोटे तौर पर हम बाल झड़ने को दो स्वरूप में देखते हैं 
पुरुषों में (Male pattern baldness ) 
यह उम्र सम्बंधित एक स्वाभाविक प्रक्रिया है 
पुरुषों में bitemporal recession of hair या माथे के दोनों तरफ से और vertex या सर के ऊपरी भाग से बाल जाते हैं , इस प्रवित्ति में अनुवंशिकता एक महत्वपूर्ण तत्व है 
यदि व्यक्ति के पिता या परिवार में लोगों में कम उम्र में गंजेपन की समस्या है तो अमुक व्यक्ति के बाल झड़ने की सम्भावना बढ़ जाती है 

महिलाओं में (female pattern baldness)
महिलाओं में सर के बीच से ( जहाँ स्त्रियां मांग निकलती है ) और ऊपर के हिस्से से बाल जाते हैं 

अब इसके कारणो  पर चर्चा की जाए 
सबसे महत्त्वपूर्ण कारण 
nutritional deficiency या खान पान में कमी है 
प्रोटीन की कमी बल झड़ने का प्रमुख कारण है , प्रोटीन हमारे बालों को बनता भी है और यह बालों को मजबूती भी प्रदान करता है , यदि व्यक्ति भोजन में प्रोटीन की कमी कर रहा हो या उसके शरीर से प्रोटीन का नुक्सान हो रहा हो तो यह समस्या बाद सकती है 

बाल झड़ने की समस्या में 
​ ​
विटामिन्स का महत्वपूर्ण स्थान है
किसी कारणवश अगर विटामिन डी या विटामिन सी की कमी होती है तो बाल झड़ सकते हैं 
​सबसे पहले  समझने ​वाली बात यह  की अपने शरीर में विटामिन c नहीं बनता है  इसलिए हमें इसके बाहरी स्रोतों पर निर्भर होना पड़ता है 

विटामिन c अपने शरीर में collagen के बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो बालों की मज़बूती का अहम कारक है 
इसी तरह टाइरोसीन की बनने की प्रक्रिया में भी विटामिन c महत्वपूर्ण है जिससे बालों के स्ट्रैंड में मज़बूती आती है तथा बालों के स्ट्रैंड के कोशिकाओं को बनने में मदद मिलती है 

विटामिन C का एक महत्वपूर्ण काम ऐंटीआक्सिडंट की  तरह काम करना भी है जिससे नए बालों की उत्पत्ति और ऑक्सिडेशन की वजह से होने वाले 
​फ्री रेडिकल्स से होने वाले ​
नुक़सान से बचत भी है 
चूँकि विटामिन c अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता ( इम्यूनिटी) को बढ़ता है अतः यह हर तरह से लाभकारी है 
​, 
​विटामिन c ​
​ एण्ड्रोजन हॉर्मोन की वजह से बाल झड़ने की समस्या में भी फायदेमंद है ​

​विटामिन डी अपने शरीर का बहुत महत्वपूर्ण तत्व है , यह शरीर की प्रतिरोधक छमता को बढ़ने के साथ , हड्डियों और त्वचा के स्वास्थ्य के लिए भी महत्पूर्ण है विटामिन डी सेल ग्रोथ को बढ़ता है व् नए हेयर फॉलिकल्स बनाने में मददगार है 
 विटामिन E जो त्वचा के लिए बहुत महत्वपूर्ण विटामिन है अपनी एन्टिओक्सीडेटिवे गुड़ के कारण फ्री रेडिकल्स से बचाव करता है , इसके अतिरिक्त पराबैगनी किरणों से ये त्वचा की रछा भी करता है जिससे स्वस्थ त्वचा में स्वस्थ बाल उग सकें ​


शरीर  में micro
​ ​
nutrients जैसे जिंक की कमी से बाल पतले और बेजान हो  जाते है 
​जिंक के महत्त्व को समझने के लिए हमें सबसे पहले समझना होगा की जिंक प्रोटीन स्ट्रक्चर का महत्वपूर्ण अवयव है, हेयर फॉलिकल प्रोटीन संरचना के कमजोर होने पर अविकसित रह जाते हैं  और  बाल टूटने लगते  हैं ​
इसके अतिरिक्त जिंक डीएनए और RNA के बनने में भी  महत्वपूर्ण है जिससे हेयर  फॉलिकल से  कोशिकाएं बनने में तेजी आती है 
नाखूनों पर सफ़ेद धारियां 
इसके अतिरिक्त Selenium  अपनी त्वचा को फ्री रेडिकल्स से बचाकर बाल झड़ने से रोकता है 

*हार्मोनल बीमारिया*
जैसे *थाइरोइड की बीमारी* और *PCOD* ( ओवरियन सिस्ट ) आदि में भी बाल झड़ना देखा जाता है 
​PCOD जिसे अब PCOS या पोल्य्सिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम भी कहते हैं स्त्रियों में होने वाली अंडाशय की बीमारी है , इस बीमारी में एण्ड्रोजन होर्मोनेस ( पुरुष हॉर्मोन ) की अधिकता हो जाती है जिससे बालों की ग्रोथ कम ​हो जाती है और बाल झड़ने लगते है 
यहाँ तक कि pcod में चेहरे पर बाल दिखाई पड़ते है,  

pcod में एण्ड्रोजन हॉर्मोन की अधिकता के कारण हेयर फॉलिकल सेंसिटिव हो जाते हैं और सर पर बालों की ग्रोथ काम हो जाती है व एण्ड्रोजन हॉर्मोन की अधिकता के कारण  पुरुषों के समान चेहरे पर बाल आने लगते हैं 

टेलोजेन एफ्फेवियम - यह स्थिति ज्यादा शारीरिक या मानसिक तनाव के नाते उपजती है , 
हमारे ९० % बाल किसी न किसी समय बढ़ते ही रहते हैं इसे anagen फेज कहते हैं और १० % बाल रेस्टिंग फेज में रहते हैं 
हर २-३ माह में ये रेस्टिंग हेयर गिर जाते हैं जिससे नए बाल उग सकें , जब अत्यधिक मानसिक या शारीरिक तवाव के कारण  ज्यादा बाल रेस्टिंग फेज में चले जाते हैं तो इस स्थिति में बाल झड़ने को टेलोजेन एफ्फेवियम कहते हैं , अधिकतर केसेस में यह ठीक हो जाता है 
थाइरोइड की बीमारी में भी  बाल गिरने लगते हैं थाइरोइड के अन्य लछणों जैसे मूड स्विंग, नींद न आना , मासिक में खराबी, ठण्ड बर्दाश्त करने की छमता में कमी ,त्वचा में खुश्की भी बाल झड़ने का कारण  है , त्वचा  में खुश्की और अधिक खुजली की वजह से शरीर के बाल भी चले जाते हैं 
 गर्भावस्था के उपरांत बाल झड़ने की समस्या हो सकती  हैं एक सामान्य प्रक्रिया है जो हॉर्मोन्स के असंतुलन से होती है और स्वतः ठीक हो जाती है, इस अवस्था में खान पान में कमी के कारण विटामिन और मिनरल की कमी भी कारक होती है 

कभी कभी गर्भ निरोधक गोलियों और अन्य दवाओं के साइड इफ़ेक्ट से भी बाल झड़ते हैं 

बाल झड़ना सेबोरिक डर्मेटाइटिस नामक बीमारी का सामान्य साइड इफ़ेक्ट है अपने शरीर में त्वचा को  तैलीय बनाये रखने के लिए sebaceous ग्रंथियां होती हैं जिससे त्वचा खुश्क न होते पाए और वातावरण के हानिकारक प्रभावों से दूर रहे,  इस बीमारी में अधिक तेल के स्राव से "मैलाजेसिआ" नामक फंगस का इन्फेक्शन हो जाता है , ये फंगस इसी तैलीय स्राव  को अपना भोजन बनाता है और फलता फूलता रहता है , इससे बालों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं और अत्यधिक खुजलाने के वजह से बाल झड़ने लगते हैं 




*अत्यधिक मानसिक तनाव* या अत्यधिक शारीरिक तनाव से भी बाल झड़ना देखा गया है 

बालों की कोशिकाएं अपने शरीर की सबसे तेजी से बढ़ने वाली कोशिकाओं में से एक हैं, अतः जब हमारा शरीर किसी बीमारी के कारण  तनाव में रहता है तो इस कोशिकाओं की वृद्धि रुक जाती है 
मानसिक चिंता के  कारण अलोपेसिआ एरियाटा नमक बीमारी हो सकती है 
अत्यधिक चिंता और अवसाद के कारण  कभी कभी व्यक्ति अपने बाल खुद उखाड़ता रहता है ​
​जिसे  
Trichotillomania
​  नामक बीमारी कहते हैं , यह महिलाओं  में ज्यादा पायी  जाती  है ​

*केमिकल्ज़* कुछ हैयर प्रोडक्ट और ख़ासकर हेयर डाई भी बाल झड़ने का कारण हो सकती है 

कभी कभी *डाइयटिंग* और तेज़ी से वज़न कम करने के कारण भी बाल झड़ना देखा गया है 


*अगर बहुत कसकर बालों को बांधा गया है* ख़ासकर स्त्रियों में तो भी बाल झड़ सकते हैं 

कुछ मेडिकल ट्रीटमेंट ख़ासकर *कीमोथेरपी* ( कैन्सर के इलाज में )के साइड इफ़ेक्ट में अक्सर बाल चले जाते हैं 

अब बात करते हैं *secondary cause* की 
बहुत सारी बीमारियों के कारण भी बाल झड़ सकते हैं 

*सेबोरिक डेरमैटायटिस*- इस बीमारी में त्वचा की तेल ग्रंथिया ज़्यादा तेल का श्ारव करती है
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जिसे रूसी की समस्या बढ़ जाती है और बालों की जड़ें कमज़ोर हो जाती हैं 

*Alopecia areata* - इस रोग में पैचेज़ में बाल जाते हैं 
​यह एक ऑटोइम्म्युन बीमारी मानी  जाती है जिसमें शरीर का प्रतिरोधत तंत्र स्वयं ही बालों की कोशिकारों को  नष्ट कर देता है 
सोरीयसिस - में अगर सिर में स्पॉट हैं तो बाल चले जाते हैं
​, सोरियासिस में अच्छी बात ये  है की  बीमारी ठीक होने पर बाल दुबारा आ जाते  हैं सोरयासिस में बाल जाने का कारण अत्यधिक  खुजली का होना है 
Folliculitis - इस रोग में बालों की जड़ों में इन्फ़ेक्शन हो जाता है और बाल चले जाते हैं 
​, अत्यधिक खुजलाहट  और  बार बार होने वाले होने ​वाले इन्फेक्शन के कारण त्वचा  की स्थिति ख़राब हो जाती है और स्काररिंग अलोपेसिआ  या फॉलिक्युलटिस डेकालवान्स नामक स्थिति  हो जाती है 
रिंग्वर्म या जिसे tinea capitis भी कहते हैं के कारण भी बाल ( ख़ासकर बच्चों में ) बाल चले जाते हैं
​, समय पर इलाज होने और सफाई का ध्यान रखने पर यह ठीक हो जाता है ​

एक उम्र के साथ बाल झड़ना सामान्य प्रक्रिया है और यह आनुवंशिक भी हो सकती है 


बाल झड़ने के उपचार 
अधिकतर जनमानस बाल झड़ने के कारणों को जाने समझे बिना तरह तरह के तेल आदि का प्रयोग करते रहते हैं, हर व्यक्ति के बाल झड़ने का कारण अलग हो सकता अतः इलाज भी अलग अलग होगा 
मेरे व्यक्तिगत अनुभव से अधिकतर मरीज हेयर आयल की मांग करते हैं और अधिकतर लोगों में ये निष्प्रभावी होते हैं ऊपर बताये सभी तथ्यों को  रखते हुए इलाज करने और खानपान  की कमी को दूर करने से अपेछित सफलता मिलती है अधिकतर समय लाभ केवल तेल लगाने  दौरान स्कैल्प  मालिश से त्वचा  में बढे रक्त  संचार से  होता है 
मैं अपने मरीजों को बाल उगाने  और बाल काला करने के भ्रामक विज्ञापनों से दूर रहने की सलाह देता हूँ 


होमियोपैथी भी बाल झड़ने की समस्या में बहुत प्रभावी है लेकिन इलाज व्यक्तिगत शारीरिक और मानसिक लछणों के अनुसार की जाती है 
व्यक्तिगत लछणों के अनुसार Natrum Mur, Calcarea Carb, Calcarea Fluor , Fluoric Acid, Silcea, Mezerium, Vineca Minor, lycopodium, Iodum, Tuberculinum आदि औषधियां प्रभावी पायी गयी हैं 
धन्यवाद 

Dr. Ravi Singh
M.D. Homeopathy

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